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१५ अगस्त की शाम ढल चूकी है और अब धीरे धीरे कानों में भक्ति गीतों की आवाज आना भी बंद हो रही है ये देश है वीर जवानों का , मेरे देश की धरती सोना उगले , जहाँ डाल – डाल पे सोने की चिड़िया करती है बसेरा जैसे देश प्रेम से ओत – प्रोत गीत सुनकर दिल के किसी कोने में छिपी देश भक्ति की भावना पुनः जागृत हो उठती है और दिल करता है देश हित के लिए कुछ करने का कुछ ऐसा करने का जिससे की आजादी के बाद भी भ्रष्टाचार , भुखमरी और बेरोजगारी जैसे समस्याओं की गुलामी कि जंजीरों में जकड़ी भारत माता और उसकी संतानों को आजादी मिल सके लेकिन कुछ करने से पहले एक सवाल सामने आ जाता है कि भ्रष्टाचार कि शुरुवात कहाँ से होती है और इसके लिए जिम्मेदार कौन है और जब मैंने अपने इस सवाल को अपनी मित्र मंडली के सामने रखा तो मेरे एक मित्र ने कहा चलो चलकर सोते हैं सुबह ऑफिस जाना है और एक ने कहा अकेला चना भाड़ नहीं भोड़ सकता इस लिए ये सब छोड़ो ये सब सोचने के लिए देश में बहुत से नेता हैं बस उसके इतना कहते ही तो समस्या और भी गंभीर होती चली गयी उसके मुख से ये शब्द सुनते ही हमारी मित्र मंडली में से एक मित्र ने गुस्से में आकर नेताओं को गलियां देनी शुरू कर दी और कुछ देर तक हम सभी मित्र बैठकर उसकी ये बातें सुनते रहे और कुछ देर बाद जब उसका गुस्सा शांत हुआ तो दुसरे मित्र ने भी भ्रष्टाचार के लिए नेताओं को ही दोषी ठहराया और अपनी इस बात को पुख्ता करने के लिए हाल ही कॉमन वेल्थ गेम्स के नाम पर हो रहे घोटालों का उदाहरण सामने रखा परन्तु हम सभी उन दोनों मित्रों कि बातों से सहमत नहीं थे क्यूंकि नेता भी हमारे बीच से हैं और मेरा सवाल जस का तस था और मुझे अपने इस सवाल का जवाब मिल पता उससे पहले एक और सवाल नाग सांप के फन की तरह उठ खडा हुआ कि भ्रष्टाचार क्या है और हम सब कुछ भूलकर इस पर चर्चा करने में मशगुल हो गए सभी ने अपने अपने तरीके से भ्रष्टाचार को परिभाषित करना प्रारंभ कर दिया किसी ने कहा कि हम नौकरी पाने के लिए रिश्वत देते हैं अपना काम जल्दी करवाने के लिए दलाल का सहारा लेते हैं और नोटों के लालच में पड़कर अपना वोट बेचते हैं ये सब भ्रष्टाचार है और अंत में जो निष्कर्ष निकलकर सामने आया उसने सारे सवालों का जवाब निकलकर सामने रख दिया और वह निष्कर्ष यह है की हम अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए नियम विरुद्ध जो भी काम करते हैं वो भ्रष्टाचार है हम सभी भ्रष्टाचार के जड़ हैं इसी लिए अगर भ्रष्टाचार को समाप्त करना है तो किसी के ऊपर दोषारोपण करने से पहले खुद को बदलना होगा और जिस दिन हम सभी ऐसा कर पाने में सफल हो गए उस दिन हमे पूरी तरह से आजादी मिल जाएगी और भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद , बाल गंगाधर तिलक जैसे शहीदों का सपना साकार हो सकेगा तो आइये और मेरे साथ प्रयास कीजये ” हम बदलेंगे युग बदलेगा ” के नारे को सार्थक करने का I
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